दिल्ली सरकार कहती है कि दिल्ली बदल रही है... लेकिन हकीकत क्या है... सरकार ने जगह-जगह चमकते-दमकते और मुस्कुराती तस्वीरों से सजे होर्डिंग्स तो लगा दिए हैं... लेकिन हक़ीकत क्या है... दिल्ली के चेहरे पर परेशानियां ही परेशानियां... बुनियादी सुविधाएं ही मयस्सर नहीं है... घर में रहो तो पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करो... हर घंटे कटती बिजली को कोसते रहो.... घर से बाहर निकलो... तो समस्याओं से भरी सड़के ही मिलती हैं... अपनी गाड़ी हो तो उसे टूटी सड़कों पर उतारते हुए भी डर लगता है... किसी तरह हिम्मत करके गाड़ी लेकर चल भी दिए... तो अगली बत्ती जाम के लिए इंतज़ार करती रहती है... ग्रीन सिग्नल मिल भी जाए तो रफ़्तार तो शायद ही मिले... और अगर अपना वाहन नहीं है... तो टूटी सड़कों में छोटी गाड़ियों और रिक्शे पलटना तो आम बात है... और दिल्ली के पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर भूलकर भी भरोसा कर लिया तो धोखे के अलावा कुछ नहीं मिलता... अब तो जैसे बसों में लटकना... उनके पीछे दौड़ना ही दिल्लीवालों की नियति है...

बेहद छोटी-छोटी... लेकिन ज़रूरी और बुनियादी सुविधाओं के लिए लोगों को प्रदर्शन करना पड़ता है... रास्ता भी तो नहीं बचा है... सरकारी हुक्मरान सुनते नहीं.. और सरकार दिल्ली बदलने के दावे साबित करने के अलावा कुछ नहीं करती... सचिवालय में बैठकर रोज़ाना नए काग़ज़ों पर दस्तखत किए जाते हैं... रोज़ाना नए-नए प्रोजेक्ट्स और दिल्ली के विकास की बात कही जाती है... कहा जाता है कि अब दिल्ली को पूरी बिजली मिलेगी... पूरा पानी मिलेगा... आरामदायक बसें आ रही हैं... यहां फ़्लाई ओवर बन रहा है... वहां मेट्रो का काम चल रहा है... लेकिन हक़ीकत में दिल्ली की जनता दिल्ली में रहने की क़ीमत चुकाती है... उनके दिन का आधा वक़्त इन समस्याओं के नाम ही रहता है... फिर भी कहा जाता है कि दिल्ली बदल रही है... कहां बदल रही है दिल्ली

Comments

  1. दिपावली की शूभकामनाऎं!!


    शूभ दिपावली!!


    - कुन्नू सिंह

    ReplyDelete

Post a Comment

Your Valuabe Comments required