झुक गया डीएमके

मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में जब यूपीए अपने कैबिनेट का विस्तार करेगी तो द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानि डीएमके के तीन नुमाइंदे भी मनमोहन के सिपेहसालार के तौर पर नज़र आएंगे.... और जैसा की कांग्रेस चाहती थी बालू मनमोहन की इस नई टीम में नहीं होंगे... डीएमके पर कांग्रेस का दबाव ही है कि करुणानिधि को काफ़ी कड़ा फ़ैसला लेना पड़ा... और टीआर बालू की जगह उन्होने अपने बेटे आझागिरी का नाम कैबिनेट मिनिस्टर के तौर पर सेट कर दिया... आझागिरी के अलावा किंग की कैबिनेट में डीएम के दौ और चेहरे हैं दयानिधि मारन और ए राजा....

दबाव की राजनीति शुरु करनेवाली डीएमके बाद में ख़ुद कांग्रेस के दबाव आ गई और कांग्रेस ने डीएमके को साफ कर दिया था कि अगर सरकार में शामिल होना है तो तीन कैबिनेट और चार राज्य मंत्रालयों से संतोष करना होगा.. इस पर करुणानिधि ने काफ़ी माथा पच्ची की... माथा पच्ची इस बात की कि किसको कैबिनेट में रखा जाए किसे राज्य मंत्रालय में.... डीएमके ने नाम तय तो कर लिए लेकिन कांग्रेस के साथ उसकी खींचतान ख़त्म नहीं हुई...

कांग्रेस को टी आर बालू के नाम पर ऐतराज़ था... और आख़िरकार डीएमके को बालू का नाम हटाना पड़ा... अब उम्मीद है कि उन्हें दूसरे तरीके से संतुष्ट किया जाएगा... सूत्रों के मुताबिक बालू को लोकसभा का डिप्टी स्पीकर बनाने की बात चल रही है...

संभावना जताई जा रही है कि ए राजा को आईटी... आझागिरी को रसायन उर्वरक मंत्रालय और दयानिधि मारन को कपड़ा मंत्रालय दिया जा सकता है... वैसे डीएमके की नज़रें भूतल परिवहन और शिपिंग पोर्टफोलियो पर हैं... लेकिन अभी तक डीएमके की मन का कुछ नहीं हुआ है... ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि उन्हे मनचाहा विभाग मिलता है या नहीं....

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